Friday, August 17, 2018

जब अटल और नीरज के पास तांगे के लिए भी पैसे नहीं बचे


भावपूर्ण श्रद्धांजलि
(२५ दिसंबर १९२४ – १६ अगस्त २०१८)
महाकवि गोपालदास नीरज और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं, लेकिन उन दोनों की दोस्ती से जुड़ा एक किस्सा अभी भी यादगार है। जिसका जिक्र स्वयं महाकवि ने अनेक बार किया था।
महाकवि नीरज और अटल बिहारी वाजपेयी को ग्वालियर में होने वाले एक कवि सम्मेलन में कविता पढ़नी थी। ट्रेन से बैठकर आगरा पहुंचे। वहां से ग्वालियर के लिए ट्रेन पकड़ी। ट्रेन इतनी देरी से पहुंची कि जब तक कवि सम्मेलन समाप्त हो चुका था। पंडाल खाली था।
उस समय यह स्थिति हो गई कि जेब में किराया तो दूर तांगे के लिए भी पैसे नहीं थे। तब वहां से एक मोहल्ले में पहुंचे जहां सम्मेलन के संयोजक चाट खाते हुए मिल गए। उनसे मिले तो उन्होंने अगले दिन एक गोष्ठी में काव्य पाठ करने को कहा। तो फिर काव्य पाठ किया था।
मृत्यु पर अटल और नीरज की कविताओं में थी समानताएं :
पूर्व प्रधानमंत्री अटल ने लिखा- 
मौत की उमर क्या है, दो पल भी नहीं
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं
कवि नीरज ने लिखा-
न जन्म कुछ, न मृत्यु कुछ
बस इतनी सिर्फ बात है, किसी की आंख खुल गई,
किसी को नींद आ गई
जिंदगी मैने गुजारी नहीं, सभी की तरह
मैंने हर पल को जिया, पूरी जिदंगी की तरह

Source: hindustanlive

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